जहर के लक्षण और इलाज

Share This Page

जहर के लक्षण और इलाज:- दोस्तों जैसा की हम जानते है की शरीर में विष यानी जहर किसी भी सकता है जहर का मतलब यहाँ पोइज़निंग से है जैसे की ख़राब गन्दी चीजे या हवा या किसी चीज में कोई केमिकल मिलावट आदि से हमारे शरीर में विष आ सकता है या फैल सकता हैं तो हमें prathmik chikitsa प्राथमिक चिकित्सा के द्वारा अपने सेहत का ख्याल रखना है और अपने आस पास लोगो को भी स्वस्थ्य की जानकारी देते रहना है

जहर फैलने के कारण

जहर (Poison) पोइज़न शरीर में निम्नलिखित रास्तो से अंदर आ सकता है-

भोजनी नली द्वारा-इसमें कीटनाशक व दवाइयों के अतिरिक्त नींद लाने वाले विष शामिल हैं-जैसे धतूरा, अफीम, संखिया आदि। जलाने वाले पदार्थों में तेजाब आदि पदार्थ शामिल हैं, जबकि तेल, पेट्रोल, पारा आदि न जलाने वाले पदार्थ हैं।

फेफड़ों में श्वास भाग द्वारा-विषैली गैस व धुआं आदि द्वारा भी जहर या विष का प्रवेश हो सकता है।

त्वचा द्वारा-इसमें टीके द्वारा विषैली दवाओं का प्रयोग अथवा जहरीले जानवरों के काटने पर विष शरीर में प्रवेश करता है।

जहर के लक्षण और इलाज

चक्कर आना, उलटी होना, जी मिचलाना, दस्त लगना, पेट में दर्द होना।

होंठ, मुंह, गला व आमाशय में जलन तथा दर्द, ऐसा प्राय: तेजाब या दाहक पदार्थों की विषाक्तता में होता है।

गहरी नींद, चक्कर आना, दम घुटना, दौरा पड़ना, मूर्च्छा आदि।

अगर इस तरह के लक्षण आपमें दिखाई देते है तो समझ जाना जहर के लक्षण है और जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाने की या इलाज करने की जरुरत है।

जहर (Poison) की चिकित्सा के सामान्य नियम और इलाज

  • यदि रोगी होश में है तो उलटी कराएं।
  • यदि रोगी मूर्च्छित हो तो पानी या अन्य कोई द्रव न पिलाएं। रोगी का सिरहाना नीचा करके उसे एक करवट लिटा दें, ताकी उल्टी हो तो बाहर निकल जाए।
  • श्वास क्रिया धीमी हो तो कृत्रिम श्वास दें।
  • रोगी को सोने न दें।
  • विष चिकित्सा के लिए सर्वप्रथम पेट का शोधन जरुरी है।
    शोधन के लिए हलके गर्म पानी में नमक डालकर भर पेट पिलाएं, उलटी होने के बाद और पानी पिला दें। तीन-चार बार में सारा विष निकल जाएगा।
  • पेट का शोधन करने के पश्चात् 100-150 ग्राम देसी घी गर्म करें और उसमें 15-20 काली मिर्च पीसकर मिला लें।
    काली मिर्चयुक्त यह देसी घी रोगी को पिला दें।
    घी यदि गाय का हो तो उत्तम है।
    3 घंटे के बाद एक मात्रा पुन: दे सकते हैं।
  • गर्म पानी के विकल्प के रूप में विशेष रूप से तेजाब या दाहक पदार्थों की विषाक्तता में भर पेट दूध पिलाएं।
    कीटाणुनाशक विषों के मामले में पानी या पैराफीन का तेल पिलाएं।
  • अम्ल या दाहक पदार्थों की विषाक्तता में वमन न कराएं।

Leave a Comment