शहद से मर्दाना ताकत | Honey benefits in hindi: शहद के फायदे | शहद कब नहीं खाना चाहिए?, honey ke benefits, शहद कब खाना चाहिए, honey uses in hindi, shehad ke fayde, शहद में क्या मिलाकर खाने से ताकत आती है?, शहद की तासीर कैसी होती है? आदि आज इस आर्टिकल में हम ये टॉपिक पढ़ेंगे और शहद के बारे में पूरा ज्ञान हासिल करेंगे।
शहद से मर्दाना ताकत: इस आर्टिकल (shahad in hindi) में शहद के बारे में रोचक जानकारी जानने को मिलेगी जैसे शहद से मर्दाना ताकत कैसे बढ़ाये और शहद की तासीर कैसी है, शहद के फायदे क्या क्या है, शहद खाने के नुकशान क्या क्या है और शहद कब खाना चाहिए | इसी तरह के कई और भी सवाल आपके मन में होंगे शहद को लेकर उम्मीद है आपको आपके सवालो के जवाब इस आर्टिकल में मिल जायेंगे।
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शहद से मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए शरीर को पुष्ट सुडौल शक्तिशाली और चुस्त बनाने वाली वनौषधि केवल 3 चम्मच शहद दूध में जल में अथवा रोटी के साथ रोज खाइए और इस अमृततुल्य शहद का लाभ खुद अनुभव कीजिए।
शहद से मर्दाना ताकत | Honey benefits in hindi
आधुनिकता और तनाव के इस युग में प्राकृतिक चीजें धीरे-धीरे दुर्लभ होती जा रही है भौतिक सुख सुविधाओं के जाल में हम इतना उलझ चुके हैं कि हमें यह भी पता नहीं है कि कौन सी चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी है और कौन सी नहीं पर जैसे हर चीज अपने अंत की ओर आती है।
उसी तरह लोग कृत्रिम चीजों का मोह छोड़कर पुनः प्रकृति की और आदमी की सोच कर रहे हैं वह दिन दूर नहीं जब लोग पूरी तरह प्राकृतिक और स्वाभाविक जीवनचर्या को अपनाकर एक सुखी और प्रसन्न जीवन बिताने में समर्थ होंगे शहद भी एक प्राकृतिक खाद है जिसका हमारे जीवन के साथ संबंध जुड़ा हुआ है।
लेकिन शहद को हमने अपने खानपान में वह स्थान नहीं दिया है जो हमें उसे देना चाहिए इसका एक कारण यह है कि हमें उसके गुणों की जानकारी नहीं है लेकिन शहद ना केवल औषधीय गुणों से भरपूर हैं बल्कि हमें तत्काल स्फूर्ति और शक्ति देखकर रोगों से बचाव करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शहद इंसान को ईश्वर की तरफ से दी गई एक बहुत ही खूबसूरत देन है यह प्रकृति का एक ऐसा उपहार है जो मनुष्य के लिए अमृत के रूप में उपयोगी है इसे जीवन दाता और शक्ति दाता के रूप में भी जाना जाता है।
हम किसी भी चीज की तारीफ करते हैं तो उसका कंपैरिजन या बराबरी हम शहद से करते हैं जैसे यह चाय तो शहद जैसी मीठी है।
पूजा के लिए काम में लिया गया पंचामृत भी शहद, दूध, घी, दही और मिश्री के मिश्रण का ही बनता है।
बच्चे के जन्म लेते ही उसको घी मिश्रित शहद चटाकर उसका जातकर्म-संस्कार किया जाता है
विवाह जैसे संस्कारों में भी इसका उपयोग खूब किया जाता है
शहद या मधु के अनेक नाम है जैसे सोम, प्राण, मधु देवभोजन, माक्षिक, पुष्परस, पुष्पासव आदि
शहद से मर्दाना ताकत – शहद के बारे में रोचक जानकारी:
प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथो में भी शहद का वर्णन मिलता है यानी शहद (Honey) के बारे में लिखा हुआ मिल जाता है। ऐसा मन जाता है की अग्निवेश नाम के योगी ने 2,500 साल पहले शहद के चिकित्सकीय गुणों का वर्णन किया यानी बता दिया था। आर्युवेद के ग्रंथो में भी इसका वर्णन किया गया है. पवित्र कुरान में भी शहद को सबसे अच्छी औषधि के रूप में बताया गया है।
कोई भी रोग हो प्राक्रतिक चिकित्सा शहद का ही उपयोग के बारे में बताती है।
शहद बच्चो को भी बहुत पसंद है बच्चे तो शहद को रोटी पर लगा कर खा जाते है।
थकान , दुर्भलता (कमजोरी) होने पर शहद लेते ही तुरंत शक्ति और स्फूर्ति का संचार पुरे शरीर में होने लगता है।
प्रसिद्ध प्राकर्तिक चिकित्सक खुशीराम दिलकश ने अपनी लोकप्रिय किताब तंदुरस्ती और बीमारी में हमारा भोजन में शहद की प्रसंशा करते हुए लिखा है की
देवमूर्ति के चरणामृत के पांच पवित्र प्रदार्थो में शहद भी एक है।
भारत के बड़े बड़े वेधराजो का कहना है की जो रोज तुलसी और शहद को पानी के साथ सेवन करता है उन पर तपेदिक का आक्रमण नहीं होता है।
दिलकश ने इसका वर्णन करते हुवे आगे लिखा है की पश्चिम में गंठिया रोग , हड्डी के टेड़ेपन, पोषण-हास आदि कई रोगो की चिकित्सा में अब काड मछली के यकृत के तेल से बने हुए प्रदार्थो और अन्य पेटेंट के आहारों के स्थान पर शहद का उपयोग होने लगा है।
चाय में शक्कर की जगह शहद मिलाकर पीने की प्रथा बढ़ रही है अमेरिका वाले धारोष्ण दूध को शहद में मिलाकर के मीठा करके पीते हैं डेनमार्क के लोग मक्खन और रोटी के साथ खाते हैं स्विजरलैंड में भी किसान लोग शर्करा के स्थान पर शहद का ज्यादा यूज करते हैं भारत के योगी रात को सोते समय एक चम्मच शहद शीतल जल में मिलाकर पीते हैं जिससे रात को नींद भी काफी अच्छी आती है और सुबह शौच भी अच्छा हो जाता है।
इस कंप्यूटर युग में शहद बनाना इंसान के बस की बात नहीं है शहद केवल मधुमक्खियों और एक खास जाति के भौरें ही बना सकते हैं यह एक प्रकृति का वरदान है।
शहद कैसे बनता है:
सभी पोधो में प्रकृतित शक्कर की उत्पति होती है. जिससे उनका पोषण होता है पुष्पों में गर्भाधान के बाद गर्भ (फल) की वृद्धि और पोषण के लिए ये बहुत जरुरी है। उस समय ये प्रदार्थ पोधो के रग – रग से खिंचकर पुष्पों की और बहता रहता है मिट्टी , जल और सूर्य किरणों से शक्ति प्राप्त कर पुष्प पूर्ण विकसित हो जाते है इस समय मकरंद में शक्कर की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है जो अपने आप बहार निकल आती है।
मधु मखिया स्वाभाविक रूप से मकरंद के उस अतिरिक्त पुष्पसाव (शक्कर ) को चुसकर अपने छत्ते में इक्कठा करती है ये अपक्व शहद होता है जिसे वे अपने छत्ते में जमा करके अपने परो से पंखा करके सुखाती है अपने मुँह की लार उसमे मिलकर उसे गाड़ा करती है तब ये एक पक्व और प्योर शहद के रूप में बदल जाता है।
मधुमखियों की लार शहद में मिलने से शहद में अनेक प्रकार के गुण उत्पन हो जाते है जिससे वो एक स्वस्थ्य वर्धक खाद प्रदार्थ बन जाता है शहद में बहुत से ऐसे तत्त्व पाए जाते है जो हमारे जीवन के लिए जरुरी है इनकी मात्रा एंड विवरण है।
- फल शर्करा – 4०%
- जल – 8.2%
- खनिज लवण – 1%
- अम्लीय तत्त्व – 1%
- मोम – 0.9%
- प्रोटीन – 1.6%
शहद में पाए जाने वाले खनिज लवणों में प्रोटीन, लोह, ताम्बा, सिलिका, मॅग्नीज़, पोटेसियम, केल्सियम, क्लोरीन, सोडियम, फॉस्फोरस, आयोडीन आदि होते है।
नोट: एक पाव शुद्ध शहद में १४५० कैलोरी होती है और एक चम्मच में 75 कैलोरी होती है।
शहद के फायदे:
प्रातः काल: आधा चम्मच तुलसी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज सेवन करना प्रत्येक रोग की महाऔषधि हैं।
शहद अत्यंत गुणकारी और पौष्टिक खाद है इसके अतिरिक्त औषधि के रूप में भी इसका प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है शायद के कुछ गुण है:
यह कीटाणु नाशक होता है।
इसमें पर्याप्त मात्रा में कैलोरी होती है जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं एक छोटा चम्मच से मनुष्य का 100 कैलोरी की शक्ति प्राप्त होती हैं जो लगभग पाव ताजे फलों से प्राप्त शक्ति के बराबर है।
यह स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
गाय के ताजे दूध में दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से शक्ति एवं स्फूर्ति प्राप्त होती हैं।
गर्मी के दिनों में घड़े के एक गिलास ठंडे पानी में तथा शीत ऋतु एवं वर्षा ऋतु में एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पीना लाभदायक है।
अंकुरित चने, मूँग तथा मोठ आदि को मिलाकर तैयार किए गए अमृतआहार में दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से ये अत्यंत पौष्टिक एवं बलवर्धक हो जाता है।
यह प्रातः काल के लिए एक उत्तम नाश्ता है अपनी आयु के अनुरूप मात्रा में बच्चे भी इसका सेवन कर सकते हैं।
चोकर सहित मोटे आटे की रोटी को शहद के साथ खाना अत्यंत स्वादवर्धक एवं क्षुधावर्धक होता है।
फल के रस में चिकित्सक के परामर्श से शहद मिलाकर उसका सेवन करने से तत्काल शक्ति प्राप्त होती हैं।
इसका निरंतर प्रयोग और समय वृद्धावस्था को रोककर दीर्घायु प्रदान करता है।
यह शरीर के अंग प्रत्यंग को स्वस्थ बनाकर रोगों की रोकथाम करता है।
इसका नियमित प्रयोग मन के तनाव को दूर कर मनुष्य को आस्थावान और विवेकशील बनाता है या रक्त का शोधन करके शरीर को मजबूत और हष्ट पुष्ट बनाता है।
यह शरीर के सौंदर्य को बढ़ाकर मुंह पर तेज लेकर आता है।
डेक्सट्रोज ग्लूकोस तथा लेवल उसकी उच्च सांद्रता के कारण शुद्ध शहद के क्रिस्टल बोतल में नीचे की ओर जम जाते हैं बोतल को गर्म पानी में रखकर उसे वापस तरल अवस्था में लाया जा सकता है।
शहद को खुले में काफी समय तक छोड़ देने से यह वायुमंडल से नमी को सोख लेता है जिससे इसकी सुगंध कम हो जाती हैं।
उम्र के हिसाब से शहद का उपयोग:
- दूध पीते शिशु को चाय की आधी चम्मच
- 2 साल से 10 साल तक के बालक को दिन भर में 30 ग्राम
- 10 साल से ज्यादा को 30 से 50 ग्राम
- व्यस्क आदमी को 75 ग्राम तक रोज
- गर्भवती माताओं को 50 ग्राम तक रोज
- दूध पिलाने वाली माताओं को 50 ग्राम तक रोज
नवजात शिशु के लिए अत्यंत लाभदायक है शहद
जिस समय बच्चा पैदा होता है उस समय मां के स्तन में दूध नहीं होता है स्तनों में दूध 12 से 14 घंटे बाद ही उतरता है ऐसे समय में अगर कोई भोजन नवजात शिशु की जीवनी शक्ति को जगह रखने के लिए दिया जा सकता है तो वह शहद है।
एक औरत को नियमित रूप से शहद देने से पेट में बच्चे की शरीर रचना में सहायता मिलती है तथा बच्चा स्वस्थ पैदा होता है जननी के उत्तम स्वास्थ्य सौंदर्य एवं शक्ति के लिए भी प्रसव से तथा प्रसव के बाद में भी उसे शहद का सेवन जरूर करना चाहिए नवजात शिशु को प्रथम 9 महीने अगर दूध के साथ दिया जाए तो उसका विकास जल्दी होता है शहद देने से शिशु काफी शक्तिशाली और हष्ट पुष्ट हो जाते हैं उनके दांत भी समय पर बिना तकलीफ के निकलते हैं।
शहद कब खाना चाहिए?
सुबह उठने के बाद: शहद को पानी के साथ गुनगुना पानी में मिलाकर पीना कई लोगों के लिए एक स्वस्थ वर्धक है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन प्रक्रिया को शुरू करता है।
भोजन के साथ: शहद को भोजन के साथ लेना भी आमतौर पर अच्छा माना जाता है। इसके उपभोग से आपके भोजन को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ विटामिन और मिनरल आपको मिलते हैं। हालांकि, अधिक मात्रा में शहद का सेवन करना उचित नहीं हो सकता है, खासकर अगर आप डायबिटीज या शरीर में शुगर की समस्या रखते हैं।
रात को सोने से पहले: कुछ लोग रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में थोड़ा शहद मिलाकर पीते हैं। यह एक रामबाण घरेलू उपाय के रूप में जाना जाता है जो आपकी नींद को बेहतर बनाने में मदद करता है।
शहद खाने के नुकशान क्या है? (शहद का प्रयोग करते समय ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें)
हमेशा शुद्ध और पका हुआ सहज ही प्रयोग में लाना चाहिए।
ज्यादा गर्म पानी, कमल बीज, मूली और मांस आदि के साथ शहद का सेवन लाभकारी नहीं है।
आग पर गर्म किए गए या प्रत्यागत शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
किण्वित या उफने हुए शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
एक प्रकार के साथ को दूसरे प्रकार के साथ में मिलाकर प्रयोग नहीं करना चाहिए।
शहद को प्रयोग करने से पहले देख लेना चाहिए कि उसके स्वाद रंग और गंद में कोई अंतर न हो।
शहद पारदर्शी होना चाहिए उसमें के प्रकार के अशुद्धि तथा मिलावट ना हो।
शहद को ज्यादा गर्म वस्तु या उबलते पेय पदार्थ में मिलाकर प्रयोग नहीं करना चाहिए।
एक ही बार में ज्यादा मात्रा में शहद नहीं खाना चाहिए आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे खाना चाहिए।
घी और शहद को एक समान मात्रा में मिलाकर कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए तेल , चर्बी आदि के साथ शहद बराबर मात्रा में मिलाकर खाने से विष का प्रभाव करता है।
शहद में किसी प्रकार का परिवर्तन किए बिना ही उसको प्रयोग करना चाहिए।
शहद मिले हुए पेय को एकदम से पीने के बजाय धीरे-धीरे एक-एक घुट करके पीना चाहिए।
यह ध्यान रखना चाहिए कि अलग-अलग मौसम में इकट्ठा किए गए शहद में अलग-अलग चिकित्सक के गुण होते हैं इसलिए उनके अनुरूप कि उसका प्रयोग करना चाहिए।
सर्दी में शहद का सेवन दूध के साथ करना लाभकारी है वर्षा ऋतु में इसे काली मिर्च का चूर्ण व अदरक के रस के साथ मिलाकर उपयोग में ले सकते हैं।
गुड, खजूर, खांड आदि के साथ शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।
शहद का सेवन अकेला ना करें ध्यान दें दूध और पानी के साथ आप शहद का सेवन करते हैं तो इनकी मात्रा ज्यादा हो और शहद की कम।
चाय और कॉफी के साथ भी शहद का प्रयोग ना करें।
शहद के फायदे और नुकसान (shahad ke fayde or nuksaan in hindi)
- हमेशा शुद्ध और पका हुआ शहद ही उपयोग में लेना चाहिए।
- आग पर गरम किये गए या प्रकिर्यागात शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- किण्वित या उफने हुवे शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- एक प्रकार के शहद को दूसरे प्रकार के शहद में मिलकर उपयोग नहीं करना चाहिए।
- शहद का प्रयोग करने से पहले देख लेना चाहिए की उसके स्वाद, रंग और गंध में कोई अंतर न हो।
- शहद पारदर्शी होना चाहिए उसमे किसी प्रकार की अशुद्धि या मिलावट ना हो।
- शहद को ज्यादा गरम वस्तु या उबलते पेय प्रदार्थ में मिलकर नहीं खाना चाहिए।
- एक ही बार में ज्यादा ना खाकर जरुरत के अनुसार धीरे धीरे खाना चाहिए।
- गई और शहद को एक सामान मात्रा में मिलकर कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए तेल और चर्बी आदि के साथ मिलकर खाने से शहद विष जैसा प्रभाव करता है।
- शहद को उसमे किसी प्रकार का उसमे बदलाव किये बिना ही इस्तेमाल करना चाहिए।
- कई बार शहद के प्रयोग से कई लोगो को पेट में दर्द या दूसरे कस्ट होने लगते है इसलिए उन लोगो को शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- शहद मिले हुवे पेय को एकदम पिने की बजाय एक एक घूंट करके धीरे धीरे पीना चाहिए।
- ये ध्यान रखना चाहिए की अलग अलग मौसम में इक्कठा किये गए शहद में अलग अलग चिकित्शकीय गुण होते है इसलिए उसके अनुरूप ही उसका प्रयोग करना चाहिए।
- सर्दी में शहद का प्रयोग दूध के साथ करना लाभकारी होता है वर्षा ऋतू में इसे काली मिर्च का चूर्ण और अदरक के साथ मिलकर उपयोग में ले सकते है।
- गुड़ खजूर और खांड आदि के साथ शहद का सेवन नहीं कर सकते है।
- शहद का सेवन अकेला न करे ध्यान दे – दूध या पानी के साथ आप शहद का सेवन करते है तो उसकी मात्रा ज्यादा हो वह शहद की कम
- चाय और कॉफ़ी के साथ भी शहद का उपयोग ना करे।
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