गुस्सा कम करने का तरीका

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गुस्सा कम करने का तरीका: दोस्तों पहले तो हम ये जान लेते है की आखिर ये गुस्सा होता क्या है। तो गुस्सा (Anger) एक भावना है जो हमारे मन में उत्पन्न होती है जब हम किसी चीज, व्यक्ति, स्थिति या घटना से नाराजगी, दुख, नाराजी या असंतुष्टि का अनुभव करते हैं। यह एक प्राकृतिक भावना है जो सभी मनुष्यों में पाई जाती है।

गुस्सा कम करना इसलिए जरुरी है क्युकी गुस्सा हमारे शारीरिक और मानसिक स्तर पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डाल सकता है। शारीरिक स्तर पर, गुस्से के वक्त हमारे दिल की धड़कन तेज हो सकती है, शरीर के अंग तनावग्रस्त हो सकते हैं, और हमारे चेहरे पर गुस्से के लक्षण जैसे कि आँखों का लाल हो जाना, भ्रूणि बन जाना या मुँह सिकुड़ जाना दिखाई दे सकते हैं।

गुस्से का प्रभाव

मानसिक स्तर पर, गुस्सा आत्मविश्वास को कम कर सकता है, संबंधों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, और विचार और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। गुस्से के वक्त, हम बड़ी जल्दी से निरंतरता से निर्णय नहीं ले पाते हैं और अपने भावों को समझने में कठिनाई हो सकती है।

गुस्सा होना सामान्य है और कई बार यह समय के साथ स्वतः ही ख़त्म हो जाता है। लेकिन, कई बार यह गुस्सा बहुत अधिक हो जाता है और असामान्य स्थितियों में यह नियंत्रण से बाहर हो जाता है, जिससे अन्य व्यक्तियों और अपने आस-पास के साथियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे मामूली गुस्से से अधिक दिक्कत उत्पन्न हो सकती है, तो विशेषज्ञ सलाह लेना उचित होता है।

अधिकांश समय गुस्से का संचय जल्दबाजी, संघर्ष, असंतोष, अयोग्यता के कारण होता है। समय पर गुस्से को पहचानें, उसके प्रति संवेदनशीलता दिखाएं, और नियंत्रित रहने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से गुस्से के समय, विचार-विमर्श करने और सकारात्मक समाधान ढूंढने की कोशिश करना सहायक हो सकता है।

गुस्सा होने के कारण

स्तर दुष्प्रवृत्ति: किसी व्यक्ति के दुर्व्यवहार, अनादर या नापसंदीदा कार्य से गुस्सा हो सकता है।

अस्थायी या स्थायी नुकसान: किसी व्यक्ति को अस्थायी या स्थायी नुकसान का सामना करना पड़ा हो तो उससे भी गुस्सा हो सकता है।

असमर्थता: कभी-कभी, हम ऐसी स्थिति में पड़ सकते हैं जहां हम खुद को असमर्थ महसूस करते हैं और यह भी गुस्सा उत्पन्न कर सकता है।

अस्वीकार: हमारे आसपास के लोग हमारी राय या विचार को अस्वीकार करने पर हम गुस्से में आ सकते हैं।

नियंत्रण की कमी: जब हम अपने भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, तो भी गुस्सा उत्पन्न हो सकता है।

गुस्सा कम करने का तरीका

समझें कि गुस्सा एक जाने-माने भावना है: गुस्सा हमारे अंदर की एक प्राकृतिक भावना है, लेकिन इसे समझते हुए हम उस पर नियंत्रण पा सकते हैं। यह जानते हुए कि गुस्से का होना नामुमकिन नहीं है, हम उसके प्रभाव को कम कर सकते हैं।

शारीरिक गतिविधियों का समर्थन करें: गुस्सा कम करने के लिए योग, मेडिटेशन, प्राणायाम जैसी शारीरिक गतिविधियों का समर्थन करना फायदेमंद होता है। इन गतिविधियों से शारीर और मन दोनों को शांति मिलती है जो गुस्से को नियंत्रित करने में मदद करती है।

सक्रिय रूप से बोलें: गुस्से के समय लोग अक्सर भाषा में अशांति और बदसलूकी कर देते हैं। इसके बजाय, सक्रिय रूप से बोलें और विवेकपूर्वक अपने भावनाओं को व्यक्त करें। लेकिन इसे समझें कि गुस्से में भी हमें समझदारी से बोलना चाहिए और दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

समय दें: गुस्से के वक्त उचित समय देने से हम अपने भावनाओं को समझ पाते हैं और उन्हें व्यक्त करने में धीरज रख सकते हैं। गुस्से के वक्त हम अक्सर जल्दबाजी में भावनाओं को व्यक्त कर देते हैं जिससे बाद में हम पछताते हैं।

सकारात्मक सोचें: सकारात्मक सोच रखना गुस्से को कम करने में मदद करता है। अपनी भावनाओं को पूर्णतः स्वीकारें, उन्हें तबाह करने के बजाय उन्हें समझें और सकारात्मक रूप से उनका सामना करें।

विश्राम का समय दें: गुस्से के वक्त एक छोटा सा विश्राम का समय लें। धीरे से सांस लें और अपने आप को सांत्वना दें कि आप गुस्से के सामने विजयी होंगे।

किसी साथी की मदद लें: गुस्सा कम करने में किसी विशेषज्ञ, चिकित्सक या किसी विशिष्ट परिवारिक सदस्य की मदद लेना भी मददगार साबित हो सकता है।

ध्यान रहे कि गुस्से को पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसे समय-समय पर संभालना और नियंत्रित करना संभव है। इन तरीकों के साथ, धैर्य, समझदारी और सकारात्मक सोच आपको गुस्से को संभालने में मदद करेंगे।

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