अजीर्ण के लक्षण और इलाज: दोस्तों अजीर्ण या उपच आज के समय की एक आम पेट की बीमारी बन गयी है आज हर किसी को अजीर्ण उपच हो रहा है और ये हमारी जीवन सैली के बदलाव के कारण हो रहा है तो आईये जानते है उपच अजीर्ण के कारण, लक्षण, और इलाज क्या क्या है?
अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) कारण:
भोजन एवं नींद में अनियमितता होने यानी समय पर नींद ना लेने, भारी (गरिष्ठ) व चिकनाई युक्त खाना ज्यादा मात्रा में कुछ दिनों तक लगातार करते रहने, शारीरिक श्रम का अभाव होने तथा ईर्ष्या, भय, चिंता, गुस्सा इत्यादि मानसिक कारणों से अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) रोग उत्पन्न होता है।
अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) लक्षण:
शरीर के पाचक रसों यानी खाना पचाने वाले अम्ल रस की उत्पत्ति या बनने में गड़बड़ी होने तथा आमाशय की प्रेरक गति प्रभावित होने से जब खाना ठीक तरह से नहीं पचता है, तो पेट में भारीपन एवं बेचैनी-सी रहती है।
दिन में कई बार शौच जाने के बावजूद पेट साफ नहीं हो पाता। इससे ऐसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है कि हलका एवं वक़्त पर किया हुआ खाना भी नहीं पच पाता है।
अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) की घरेलू चिकित्सा:
- अदरक का एक-एक चम्मच रस दिन में दो बार नमक और गुड़ के साथ खाना के पूर्व लें।
- सोंठ का आधा चम्मच चूर्ण दिन में दो बार गर्म जल के साथ लें।
- एक नीबू का रस दिन में तीन बार खाना के बाद गर्म जल से लें।
- छोटी हरड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार गुड़ और नमक के साथ खाना से पहले लें।
- काली मिर्च एवं नमक, दो-दो चुटकी, कटे हुए आधे नीबू पर रखकर आंच पर गर्म करके खाना के बाद दिन में तीन बार चूसें।
- भोजन से पहले 100 ग्राम खुबानी खाएं।
- आंवलों का रस पांच से छह चम्मच, एक चम्मच जल मिलाकर दिन में तीन बार लें।
- भोजन करने के कुछ टाइम बाद चुटकी भर अजवायन पीस कर लें।
- काला नमक व देसी अजवायन 1 : 4 के अनुपात से कोई शीशे और चीना मिट्टी के बरतन में डालकर, नीबू का इतना रस निचोड़ें कि दोनों वस्तुएं उसमें डूब जाए। इस बरतन को छाया में रखकर सुखाएं। सूखने पर नीबू के रस में पुन: डुबो दें। ये क्रिया सात बार करें। ये मिश्रण 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाना के बाद गुनगुने जल के साथ लें। अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) के अतिरिक्त पेट के अन्य रोगों, उल्टियां आने एवं जी मिचलाने में भी ये मिश्रण अत्यंत लाभदायक है।
तुलसी के कुछ पत्ते पीसकर पत्तो की मात्रा १० से १५ हो सकती है, इसमें नमक मिलाकर शरबत की तरह बनाकर पिएं।
रोगी को मोठ की दाल खिलाएं।
कचरी के चूर्ण से सेंधा नमक मिलाकर गर्म जल और मट्ठे के साथ दें।
फलों में पपीता और अमरूद अथवा दोनों मिलाकर इसमें काला नमक, काली मिर्च व इलायची मिलाकर खाना से पहले लें। खाना इतना करें कि पेट कुछ खाली रहे।
सब्जियों में टमाटर अपच या अजीर्ण में बहुत लाभदायक है। रोज सुबह खाली पेट, कटे हुए टमाटरों पर काला नमक व काली मिर्च छिड़कर लें।
गाजर अथवा टमाटर का रस रोज सुबह व सायं लेने से भी अजीर्ण रोग में बहुत लाभ मिलता है। दोनों का रस मिलाकर भी ले सकते हैं। ये रस सुबह के वक़्त खाली पेट व शाम को खाना से एक घंटा पहले लें सकते है।
टमाटर के रस की जगह पर टमाटर का सूप भी लिया जा सकता है। इसी तरह कच्चे प्याज के पत्तों से बना सूप भी लिया जा सकता है। रस और सूप दोनों में काली मिर्च और काला नमक डालकर लें सकते है।
फलों में अनार और फालसे का रस भी पेट के रोगों में बेहतर काम करता है। लंबे वक़्त तक प्रयोग करने के लिए अनार का शरबत बनाकर रखा जा सकता है।
भोजन एवं परहेज
अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) में हलका खाना लें सकते है। चावल व मुंग की दाल की 1 एवं 2 के अनुपात में बनी हुई खिचड़ी रोगी को लेनी जरुरी है। रोटी के साथ मूंग की दाल और हरी सब्जी (तोरी,पालक,घिया, टिंडा आदि) को उपयोग में ले सकते है।
रोटी बनाते वक़्त उसमें 7-8 दाने अजवायन के डाल लें।
अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) के रोगी को तला हुआ व गरिष्ठ खाना नहीं करना चाहिए। घी और तेल की मात्रा खाना में न्यूनतम हो।
उड़द की दाल, दही इत्यादि का प्रयोग भी रोगी को नहीं करना चाहिए।
मूंगफली और केले जैसे फलों का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
भोजन के बाद एक गिलास छाछ (मट्ठा) का प्रयोग अजीर्ण में ख़ास रूप से फायदेमंद है, किन्तु छाछ में से मक्खन पूरी तरह निकाल लिया गया हो, अन्यथा मक्खन पाचकाग्नि को एवं मंद कर देगा।
छाछ में अजवायन, भुना व पिसा जीरा तथा काला नमक डालकर लें। अगर छाछ मिलना संभव न हो, तो खाना के बाद गर्म जल पिएं। और जल उबालने के बाद इतना ठंडा कर लेना चाहिए कि उसे घूंट-घूंट कर आसानी से पीया जा सके।
आयुर्वेदिक औषधियां
अजवायन का अर्क 15 से 20 मि.ली दिन में दो-तीन बार बराबर की मात्रा में गर्म जल मिला कर दें। खाना के बाद कुमारी आसव और रोहितकारिष्ट 15 से 20 मि.ली. तीन बार लें।
अजीर्ण के साथ अगर यकृत की कार्यप्रणाली ठीक न हो, तो आरोग्यवर्धनीवटी का प्रयोग ताप्यादिलौह अथवा यकृदारि लौह के साथ कराएं। आंवला चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण और शिवक्षार पाचन चूर्ण खाना के बाद एक-एक चम्मच गर्म जल के साथ दें। रात को सोते वक़्त एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण लें।
पेटेंट औषधियां
सीरप ओजस (चरक), वज्रकल्क, पाचक पिप्पली (धूतपापेश्वर), पंचारिष्ट (झंडु) और पंचासव (बैद्यनाथ) और जिमनेट सीरप व गोलिया (एमिल), गैसोल गोलियां व सैन. डी. जाइम सीरप (संजीवन) का प्रयोग भी अजीर्ण में लाभदायक है।
कई बार कोई ख़ास चीज या वस्तु का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से भी अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। रसोईघर में प्रस्थान निम्नलिखित वस्तुओं के प्रयोग से ऐसे अजीर्ण या उपच (Dyspepsia) से तुरंत फायदा होता है :
अजीर्णकारी द्रव्य अजीर्णनाशक द्रव्य
- अमरूद काला नमक, काली मिर्च व लौंग पीसकर चुसना।
- आम 1 ग्राम सोंठ और गुड़ मिलाकर चूसना।
- इमली – गुड़
- उड़द की दाल – शक्कर या गुड़ में हींग मिलाकर, गोली बनाकर दो घूंट गर्म पानी से लें।
- केला – दो छोटी इलायची चबाकर खाएं।
- खरबूजा – मिसरी अथवा चीनी मिलाकर
- खीर – काली मिर्च
- गन्ना – बेर (4 से 6)
- घी – काली मिर्च व काले नमक वाली चाय
- चने की दाल – सिरका
- चावल – अजवायन या गर्म दूध
- जामुन – नमक
- तरबूज – लौंग व काला नमक
- दही – काला नमक व पिप्पली
- पनीर – गर्म पानी
- पूरी/कचौड़ी – गर्म पानी/चाय (नमक से बनी)
- बाजरा/मकई – छाछ
- बेर – सिरका/गन्ना
- मटर – सोंठ, काली मिर्च
- मूंगफली – गुड़
- मूली – मूली के पत्ते
- लड्डू – पिप्पली, लौंग
- शकरकंदी – गुड़
- नारियल – चावल का धोवन
- अधिक भोजन – जमीरी नीबू का रस
- गेहूं की रोटी – ककड़ी
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अजीर्ण के लक्षण और इलाज – एक पेट संबंधी रोग
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