सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन: दोस्तों इस आर्टिकल में हम चाणक्य नीति की बातें करेंगे और इनके बारे में पढ़ेंगे, आचार्य चाणक्य के विचार पढ़ेंगे।
आचार्य चाणक्य एक बहुत ही बड़े ज्ञानी और विद्वान थे उनकी बुध्दि, दिमाग और विचारो का कोई विकल्प नहीं था, वो बहुत तेज थे पढ़ने में और रणनीति बनाने में।
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उन्होंने अपने ज्ञान को फैलाया और लोगो को बहुत कुछ सिखाया है। वो चाहते थे हर इंसान समझदार और होशियार बने। उनके विचार और नीतियां जिंदगी में बहुत कुछ अच्छा बदलाव ला सकती है।
आचार्य चाणक्य एक महान दार्शनिक, राजनेता और अर्थशास्त्री भी थे, इनके द्वारा रचित भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, अर्थशास्त्र कृषि, राजनीति, अर्थ नीति और समाज नीति आदि का एक महान ग्रंथ है।
सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन
सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है – “अपने छिपे हुए रहस्यों को किसी को भी
ना बताओ क्यूकी अपने सीक्रेट्स दूसरो को बताने से आप बर्बाद हो सकते हो।”
ये लोगो की फितरत में है की वे हमेशा आपको नुकशान पहुचाने के लिए तैयार रहते है।
जो लोग अच्छे होते है और बुरे लोगो के बिच रहते है और उनका साथ देते है
तो भी अंत बुरा ही होता है।
हर दोस्ती के पीछे कुछ अपना स्वार्थ होता ही है।
बिना स्वार्थ के कोई दोस्ती नही होती है।
यह एक कड़वा सच है। दुनिया में ज्यादातर लोग यही सोच कर दोस्ती करते है की
दोस्त कही ना कही काम ही आते है।
फूलों की खुशबू सिर्फ हवा की दिशा में ही फैलती है।
परन्तु एक व्यक्ति की अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।
इसलिए अच्छे बनो और हमेशा अच्छाई करो।
उधारी, दुश्मनी और बीमारी को ख़त्म कर देना चाहिए।
ये तीनो इंसान को ख़त्म कर सकती है।
बिना उपाय और प्लानिंग के किए गए काम,
कोसिस करने पर भी नहीं बचाए जा सकते है, ख़त्म हो जाते है।
इसलिए काम करने वाले के लिए उपाय या प्लानिंग सहायक होती है।
हर काम करने से पहले उस काम की प्लानिंग करे तभी वो काम शुरू करे।
क्युकि काम का स्वरुप (ढाँचा) तैयार हो जाने के बाद वह काम लक्ष्य बन जाता है।
एक शेर से बेहतरीन बात ये सीखा जा सकती है कि
एक इंसान को भी किसी काम को करने का इरादा पूरे मन
और कड़ी मेहनत से किया जाना चाहिए।
दुनिया की सबसे बढ़कर जो आज के समय में ताकत है,
जिसको लोग आजकल गलत तरीको से इस्तेमाल करते है
वो है जवान लोगो की ताकत और औरतो की सुंदरता।
जहाँ लक्ष्मी है वहां सरलता से सुख आ जाता है।
इंसान पैदाइशी महान नहीं होता है बल्कि वो अपने किये गए कर्मो से महान बनता है।
एक बेवकूफ व्यक्ति के लिए पुस्तक उतनी ही उपयोगी है।
जितना एक अंधे व्यक्ति के लिए दर्पण उपयोगी है।
जो खुद अपने आप पर विजय पा ले वो
सभी प्रकार की संपत्ति एकत्र करने में समर्थ होता है।
शिक्षा सबसे अच्छी दोस्त हैं, और एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता हैं,
शिक्षा सौन्दर्य और यौवन को परास्त कर देती हैं।
अगर आपके पास शिक्षा है तो आपको सौन्दर्य और यौवन की जरुरत नहीं।
इंसान अपनी बुद्धि से पैसा कमा सकता है।
लेकिन वो पैसे से कभी भी बुद्धि हासिल नहीं कर सकता।
दुनिया के सामने ऐसे रहो जैसे आपकी वैल्यू है।
जैसे की सांप जहरीला नहीं है, तो उसे विषैला होने का दिखावा करना चाहिए।
वरना लोग उसकी वैल्यू कभी नहीं समझेंगे।
एक अकेला पहिया कभी नहीं चल सकता है।
उसी तरह आप अकेले कुछ नहीं कर सकते।
इन्द्रियों पर विजय पाने का आधार आपका विनम्र और शांत होना है।
प्रकृति का गुस्सा सभी गुस्सो से बड़ा होता है।
इंसान खुद अपने कर्मो के द्वारा अपने जीवन में दुखो को बुलाता है।
किसी भी एक व्यक्ति को जरुरत से ज्यादा ईमानदार और वफादार नहीं होना चाहिए।
क्योंकि सीधे तने वाले पेड़ पहले काटे जाते हैं पर टेढ़े को कोई नहीं छूता।
व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है।
और इस दुनिया में वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल भी खुद ही भुगतता है।
उसके बाद वो अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है।
पहले पाच सालों में अपने बच्चो को बड़े लाड और प्यार से पालो,
अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखो, और थोड़ा सख्त रखो।
जब वो 16 साल के हो जाये तो उसके साथ एक अच्छे दोस्त की तरह रहो।
आपके जवान बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं।
एक बार अगर आप किसी काम की शुरुआत कर लेते हैं,
तो असफलता के डर से उस काम को छोड़ो मत।
जो लोग ईमानदारी से काम करते रहते हैं, वे सबसे खुश हैं।
और वे सफल भी होते है। बस जिस काम को शुरू किया है उसको करते रहो।
एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कुत्ते की पूंछ की तरह बेकार है।
जो ना तो उसके पीछे के भाग को छुपाता है।
और ना ही कीड़ों के काटने से बचाता है।
इसलिए जीवन में शिक्षा बहुत जरुरी है।
अगर आपके पास शिक्षा है तो पूरी दुनिया में कही भी जा सकते हो।
लेकिन अशिक्षित इंसान के पास लिमिटेड चॉइस होती है।
भगवान लकड़ी, पत्थर या मिट्टी के मूर्तियों में नहीं रहते।
उनका निवास हमारी भावनाओं और हमारे विचारों में है।
समय का ज्ञान न रखने वाले राजा का काम समय के द्वारा ही ख़त्म हो जाता है।
पढ़े लिखे और समझदार जो काम को करने के योग्य हो
उनके बिना कोई भी निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।
सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है।
पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है।
इस बात को किसी को भी ना बताओ कि
आपने कुछ नया करने के लिए सोचा है,
बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखो और
इस काम को करने के लिए अपने आपको मजबूत रखो।
दोस्ती किसी से ना रखे अगर करनी भी है तो उन लोगो से तो
बिलकुल भी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहुत निचे या बहुत उपर हो,
क्युकि इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती है।
जब तक आपका शरीर स्वस्थ रहेंगा तब तक मौत आपके वश में होंगी,
लेकिन फिर भी आप आत्मा को बचाने की कोशिश करो,
क्योकि जब मौत पास होंगी तब आप क्या करोंगे?
मौत को कोई टाल नहीं सकता है इसलिए आत्मा यानी रूह भी स्वस्थ होनी चाहिए।
कोई भी काम शुरू करने से पहले, हमेशा अपने आप से तीन प्रश्न पूछिए –
१. मैं यह क्यों और किस लिए कर रहा हूं?,
२. इस काम के परिणाम क्या क्या हो सकते हैं?
३. और क्या मैं इस काम को करके सफल रहूंगा या नहीं?
जब आप गहराई से सोच लें और इन सवालों के संतोषजनक जवाब मिल जाये, तभी आगे बढ़ें।
एक शासन करने वाले इंसान को खुद योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की मदद से शासन करना चाहिए।
इसी को आज के वक़्त में हम टीम वर्क कहते है। और ये जरुरी है असफलता के लिए।
एक गवार और असंस्कारी व्यक्ति को हंसमुख और
अच्छा होने पर भी उससे कोई सलाह नहीं लेनी चाहिए।
एक गैरतमंद और प्रतिष्ठित व्यक्ति को एक
जैसे विचारो को सामने रख कर उन पर वापस से विचार करना चाहिए।
ज्ञान वाले, छल-कपट ना करने वाले और शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाए।
समस्त कार्य पूर्व सलाह और एक दूसरे के मशवरे से करना चाहिए।
भाग्य के उलट होने पर अच्छा काम भी दुखदायी और ख़राब हो जाता है।
अशुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए अर्थात गलत कार्यों को नहीं करना चाहिए |
विचार अथवा सलाह को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है।
राज्य नीति का संबंध केवल अपने राज्य को
सम्रद्धि प्रदान करने वाले मामलो से होता है।
लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है।
किसी काम को करने के बिच में बहुत देरी से करना और आलस्य के साथ करना ठीक नहीं है।
कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग करना चाहिए।
समय को समझने वाला ही कार्य सिद्ध करता है।