स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय

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स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय: दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम स्वस्थ रहने के उपाय | swasth rahne ke upay के बारे में पढ़ेंगे।

लोकोक्ति प्रचलित है ‘पहला सुख निरोगी काया।’ शरीर की स्वस्थता ही सुख है और रुग्णता ही दु:ख है। मतलब यह कि अच्छी तन्दुरुस्ती से बढ़कर दुनिया में कोई सुख नहीं है और बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीने में कभी भी कोई आनन्द नहीं रहता हैं।

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स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय
स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय

स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय

इंद्रियसचंम और मन:शुद्धि ऐसो दशायें है कि इनसे शारीरिक स्वास्थ्य तो मिलता ही है, पारमार्थिक स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है।

—अज्ञात

अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।

—प्यूब्लियस साइरस

जल्दी सोना और प्रात: जल्दी उठना मनुष्य को स्वस्थ, धनवान् और बुद्धिमान बनाता है।

—कहावत

स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अतिरिक्त वहाँ तक पहुँचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं है।

—वेन्डेल फिलिप्स

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स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय
स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय

अंग्रेजी में एक कहावत है कि Prevention is better than cure यानी सुरक्षा और बचाव चिकित्सा से बेहतर है। आग लगने के पहले कुंआ खोदने वाली कहावत चरितार्थ करने के लिए यह जरूरी है कि रोग होने के पूर्व ही सतर्कता बरती जाए और जरुरी तथा उपयोगी नियमों पर जरुरी ध्यान केन्द्रित किया जाए, तो हम रोगों से बचा जा सकता हैं और हमारा जीवन सुखमय हो सकता है।

इसमें कोई सदेह नहीं कि स्वास्थ्य की आवश्यकता एवं उपयोगिता प्रत्येक नर-नारी के लिए है। हमारे गलत रहन-सहन, बुरी आदतें और खान-पान के दोषों के कारण ही शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा होती है। अत: स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर आपको किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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और कौन-कौन से नियमो का पालन करना चाहिए, जैसे सार्वजनिक महत्व के विषयों पर पुस्तक में चर्चा की गई है, जो निश्चित ही आपका मार्गदर्शन करेंगे तथा आपके व्यस्त, तनावग्रस्त, उलझन-से भरे जीवन में भी आपके स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए नीरोग एवं सुखी जीवन व्यतीत करने में मदद कर सकेंगे।

स्वयं को सुंदर और आकर्षक दिखाने की प्रवृत्ति के कारण ही आजकल सौंदर्य प्रसाधनों का प्रचलन सर्वाधिक होने लगा है। बिना मेकअप किए अब व्यक्तित्व अधूरा-सा लगता है। सुंदरता की ललक ने अपने पांव इस तरह पसारे हैं कि स्त्रियां तरह-तरह के बनाव- श्रृंगार करती रहती हैं। इससे वे न केवल चेहरे , वरन् अपने अन्य अंगों के दोषों को अस्थाई तौर पर छिपा कर झूठी तसल्ली पा लेती है।

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पुरुष भी पीछे नहीं – swasth rahne ke upay

ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाएं ही अपना बनाव- श्रृंगार करती हैं, वरन् पुरुष भी अब पीछे नहीं। हर पत्नी अपने पति को खूबसूरत, जवान, खाका और चुस्त-दुरुस्त देखना चाहती है, अत: शहरों में अब पुरुषों के लिए भी ‘ब्यूटी पार्लर’, ‘हेयर ड्रेसिंग सैलून’ तथा ‘हैल्थ क्लब’ खुल गए है, जहां सुंदर दिखने के लिए विभिन्न प्रसाधन सामग्रियों का उपयोग आधुनिक मशीनों से नई-नई तकनीकों से किया जाता है।

यदि बनाव श्रृंगार करने में प्राकृतिक प्रसाधन सामग्रियों का उपयोग किया गया हो, तो सुंदर और आकर्षक दिखने के लिए ‘ब्यूटी पार्लर’ संस्कृति की इस प्रवृति को बुरा नहीं कहा जा सकता, लेकिन यदि रसायन युक्त कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों का या घटिया क्वालिटी का इस्तेमाल अधिक किया जाए, तो उससे न केवल पैसा बर्बाद होता है, बल्कि त्वचा की स्वाभाविकता एवं कोमलता को भी काफी नुक़सान होता है और कई तरह के रोगों को बढ़ावा मिलता है।

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बढ़ती मांग – swasth rahne ke upay

सर्वेक्षणों से पता चला है कि पिछले एक दशक में सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री छह-सात गुना बढ़ गई है और इनके उत्पादन में पंद्रह प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। तरह-तरह के आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों को लुभाया जाता है। त्वचा को मुलायम, चिकनी, आकर्षक, चेहरे की कांति बढ़ाने, गालों की त्वचा को गुलाब की तरह लालिमा युक्त बनाने के वायदे खूब किए जाते हैं।

नकली उत्पादों को भरमार

आजकल बाजार में नकली सौंदर्य प्रसाधनों को भरमार है। यह बात समूचे विश्व में प्रमाणित हो चुकी है। ये सौंदर्य प्रसाधन सस्ते तो होते हैं, परंतु हानि प्यादा पहुंचाते हैं। इस कारण इन सस्ते बाजारी सौंदर्य प्रसाधनों के स्थान पर घरेलू नुसखों का प्रयोग किया जाए, तो न को ये हानि पहुंचाएंगे और न ही त्वचा पर इनका कोई साइड इफेक्ट होगा।

प्रसाधनों के प्रकार

आजकल बाजार में होंठों को खूबसूरत बनाने के लिए तरह-तरह के शेड वाली लिपस्टिक, नाखूनों को रंगने के लिए नेल पालिश, चेहरे को सुंदर बनाने के लिए खुशबूदार पाउडर व क्रीम, पूरे शरीर की त्वचा को निखारने के लिए विभिन्न प्रकार के लोशन, खुशबूदार परफ्यूम्स, आंखों को सुंदरता बढ़ाने के लिए काजल, सुरमे, आई लाइनर, आई ब्रो पेंसिल , मस्कारा, बालों के लिए शैम्पू और शादीशुदा महिलाओं के लिए सिंदूर, बिंदी, कुमकुम जैसे सौंदर्य प्रसाधन आसानी से सर्वत्र उपलब्ध होते हैं।

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स्वस्थ्य रहने के उपाय

नियमित प्रयोग के दुष्परिणाम – swasth rahne ke upay

बहुत से युवक-युवतियां दूसरों की देखादेखी, अपने को उनसे अधिक खूबसूरत बनाने के चक्कर में आवश्यकता से अधिक और नियमित रूप से सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करते हैं। उन्हें इनके प्रयोग से होने वाली हानियों का ठीक से ज्ञान नहीं होता। परिणाम जब सामने आते हैं तब तक चेहरा कुरूप हो चुका होता है। यहां तक कि चेहरे का सारा आकर्षण ही जाता रहता है।

सामान्य तौर पर सौंदर्य प्रसाधनों के उपयोग से जो दुष्परिणाम नजर आते हैं, उनमें एलर्जी होना, खुजली होना त्वचा पर दाने उभर आना, उनमें जलन होना होंठों का लाल, काला, बदरंग होकर फटना, उस पर पपड़ी पड़ना, रिसना, सूजन आना, पसीने के अवरोध से चर्म विकार आदि पमुख लक्षण होते हैं।

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लंबे समय तक हानिकारक रसायनों के प्रयोग से त्वचा का कैंसर तक हो सकता है। सौंदर्य प्रसाधनों के अत्यधिक प्रयोग से त्वचा रोमछिद्रों के बंद हो जाने के कारण पसीना व विजातीय तत्वों के शरीर से बाहर निकलने में बाधा पहुंचती है। इनमें मिलाए गए कृत्रिम रंग व हानिकारक रसायन हमारी त्वचा द्वारा सोख लिए जाते हैं और त्वचा के विभिन्न रोग उत्पन्न करते हैं।

swasth rahne ke upay | टैल्कम पाउडर: सभी घरों में टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। बहुत से लोग चेहरे के अलावा नहाने के बाद इसे शरीर पर छिड़क कर लगाते हैं। इस दौरान पाउडर डस्ट के सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफडों में पहुंचकर एलर्जिक रिएक्शन पैदा कर सकते हैं।

जब लंबे समय तक नियमित पाउडर छिड़कने का सिलसिला चलता रहता है, तो इससे फेफडों को भारी नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। दमे , क्रानिक, ब्रॉन्काइटिस और फेफड़ों की अन्य तकलीफों से पीड़ित लोगों को पाउडर डस्ट से विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। टैल्कम पाउडर में जो डिओडोरेंट मिलाया जाता है , उससे त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न करते है।

swasth rahne ke upay | लिपस्टिक: नियमित रूप से लिपस्टिक का प्रयोग करने से होंठों का स्वाभाविक रंग नष्ट हो जाता है। उसमें सूखापन, दरारें पड़ना, पपड़ी जमना, सूजना , रिसना यहां तक कि होंठ काले पड़ जाते है। इसमें इओसिन नामक रंग लैनोनिन रसायन के साथ प्रयुक्त किया जाता है। लिपस्टिक जब होंठों के माध्यम से शरीर में पहुंचती है, तो अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा होती हैं।

swasth rahne ke upay | नेल पालिश: नाखूनों पर नियमित रूप से प्रयोग की जाने वाली नेलपालिश से नाखून बंदरंग, चमकहीन और उनकी बनावट बिगड़ सकती है तथा वे कमजोर होकर जल्दी टूटते हैं। पैरों की उंगलियों में सूजन आ सकती है।

स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय
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swasth rahne ke upay | आंखों के प्रसाधन: आंखों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रसाधनों में आई पेंसिल, आई लाइनर, आई शैडो, मस्कारा, काजल, सुरमा न केवल आंखों में खारिश पैदा करते हैं , बल्कि आखों को नुकसान भी पहुंचाते है। क्योंकि इनमें सीसा कोलतार के रंग जैसे हानिकारक तत्व मिले होते है। मस्कारा के नियमित प्रयोग से आंखों के आसपास की त्वचा में जलन होने लगती है। आई लाइनर से आंखों की श्लेष्मा झिल्ली के खराब होने का खतरा होता है।

swasth rahne ke upay | हेयर शैप्पू: शैम्पू में सिंथेटिक डिटरजेंट होता है। साबुन आधारित शैम्पू मेँ पानी के खनिज के कारण बाल कड़क, रूखे और मुंह हो जाते है। इनके लगाने से बालों को पोषण, मजबूती और सुरक्षा प्रदान नहीं होती। इसमें सेल्टोल्स और डाइ-आक्सीज़न जैसी जहरीली अशुद्धियां होती हैं, जिनसे एलर्जी हो सकती है। ये शैप्पू आंखों में जलन, वालों के झड़ने जैसी बीमारियां भी पैदा कर सकते हैं। इसलिए हर्बल का प्रयोग करें।

swasth rahne ke upay | हेयर रिमूवर्स: अनचाहे बालों को हटाने के लिए बाजार में सुगंधित हेयर रिमूवर मिलते हैं। इनमें बेरियम सल्फेट नामक रसायन मिलाया जाता है, जिससे त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं और एक्जिमा तक हो सकता है।

swasth rahne ke upay | फेस क्रीम: चेहरे पर लगाई जाने वाली क्रीम यदि वसा अथवा तेल आदि स्निग्ध पदार्थों के माध्यम से बनाई जाए, तब को ठीक है, अन्यथा क्रीमों में या तो नमी सोख लेने वाले तत्व होते हैं अथवा उनमें ऐसे तत्वों का सम्मिश्रण होता है, जो त्वचा के रोमकूपों में संकोच उत्पन्न करते है, जिससे शरीर से पसीना, अन्य विजातीय तत्वों का बाहर निकलना मुशिकल हो जाता है और वे विजातीय पदार्थ शरीर के अंदर ही रहकर विकृति पैदा करते हैं, परन्तु आजकल बाजार में हर तरह की त्वचा के अनुरूप क्रीमें मिलने लगी हैं।

swasth rahne ke upay | बिंदी: माथे पर लगाई जाने वाली बिंदी का चिपचिपा पदार्थ त्वचा को प्रभावित करता है और इसके नियमित प्रयोग से उस स्थान पर खुजली और त्वचा रोग भी हो सकते है, दाने उभर सकते है। कभी-कभी तो सफेद दाग तक पड़ जाते हैं।

swasth rahne ke upay | सिंदूर: सुहाग का प्रतीक चिह्न ‘सिंदूर’ में साधारणतया लेड आक्साइड रसायन रहता है, जो एक विषैली धातु है। इसे मांग में भरने से सिर की त्वचा निरन्तर अनेक वर्षों तक इसके संपर्क में आती रहती है, जिससे बाल झड़ने, टूटने, छोटे पड़ने तथा जल्दी सफेद होने लगते हैं। रोमकूपों के साथ यह रसायन मस्तिष्क के भीतर जा पहुंचता है और अनिद्रा, सिर दर्द, विस्मरण उदासी आदि कई तरह की तकलीफें पैदा करता है। रक्त के साथ मिलकर वह शरीर के अन्य भागो में पहुंच कर उपद्रव खड़े करता है।

स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय
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उपयोग से पहले एलर्जी टेस्ट करें – swasth rahne ke upay

किसी भी सौंदर्य प्रसाधन को अपनाने से पहले उसकी एलर्जी संबंधी जांच अवश्य कर लें। इसके लिए कलाई के नीचे या कान के पीछे थोड़ा-सा भाग साफ करके थोड़ा-सा सौंदर्य प्रसाधन लगा लें और 24 घंटे तक उसका असर देखे। यदि वहां कुछ भी प्रतिक्रिया के लक्षण नजर नहीं आते है और साबुन से धोने के बाद भी कोई कष्ट नहीं होता, तब तो आप वह प्रसाधन चेहरे आदि स्थानों पर इस्तेमाल कर सकते हैं, अन्यथा नहीं।

खरीदते समय सावधानी बरतें – swasth rahne ke upay and tips in hindi

सौंदर्य प्रसाधन हमेशा कंपनियों का बना ओरिजिनल पैकिंग में सील बंद अवस्था में एवं विश्वसनीय दुकान से ही खरीदे । सस्ते के चक्कर में पड़कर कभी भी मिलते-जुलते नामों की सौंदर्य सामग्री फेरीवालों, सड़क पर बैठ कर बेचने वालों से घटिया कंपनी की बनी चीजें न खरीदें।

रासायनिक तत्वों से मिलकर बने सौंदर्य प्रसाधनों का कम से कम इस्तेमाल करें, क्योंकि उसके तत्व त्वचा और स्वास्थ्य, दोनों के लिए हानिकारक होते है। इन्हें यूं ही खुला कभी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से ये खराब हो जाते है।

जागरूक बनें – swasth rahne ke upay

अपने सौंदर्य की देखभाल, रख-रखाव और मेकअप की तकनीक सीखना यद्यपि आज के जमाने में प्रत्येक जागरूक युवक-युवती, महिला के लिए आवश्यक है, फिर भी अंधानुकरण करके अपने स्वास्थ्य (swasth rahne ke upay) के प्रति लापरवाह रहना निश्चय ही एक गलत आदत है। अत: रासायनिक सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग कम करना हित में होगा।

हर्बल प्रसाधन अपनाएं – swasth rahne ke upay

इसमें कोई संदेह नहीं कि प्राचीनकाल के सौंदर्यवर्धक योग आजकल के कैमिकल्स-युक्त प्रसाधनों से कई गुना श्रेष्ठ है। आयुर्वेद में ऐसे सैकड़ों नुस्खे भरे पड़े हैं, जिनको अपनाने से रूप सौंदर्य निखर उठता है। जड़ी-बूटियों से निर्मित सौंदर्य प्रसाधन भारत की प्राचीन पद्धति है, जो वास्तव मेँ श्रेष्ठ और सार्वकालिक असरकारक है।

यहीं वजह है कि आजकल हर्बल पर आधारित सौंदर्य प्रसाधनों का संचलन दिन-पर-दिन बढ़ता ही जा रहा है। इनके प्रयोग करने से त्वचा को बिना नुकसान पहुंचाए ही अपने सौंदर्य को आकर्षक रख सकते हैं।

समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा के पर्दे और टी.बी. पर किए गए शीतल पेयों (कोल्ड ड्रिंक्स) के आकर्षक, धुंआधार विज्ञापनों के कारण अब शहरों से गांवों तक गर्मी के मौसम में, इनका उपयोग अधिक बढ़ गया है। बच्चों और युवा पीढ़ी पर तो उसका जादुई असर हुआ है। यहीं कारण है कि प्रतिवर्ष इनकी बिक्री में वृद्धि होती ही जा रही है।

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बच्चों की पसंद – swasth rahne ke upay and tips

इनकी पसंद का आलम यह है कि नासमझ छोटे बच्चे तक अब पौष्टिक दूध की जगह इन पेयों का सेवन करना पसंद करने लगे हैं। जन साधारण ये नहीं जानते कि इन पेयों के पीने से न तो प्यास बुझती है और न ही गर्मी से राहत मिलती है। हां, थोड़े समय के लिए ऐसा अहसास जरूर होता है।

इन पेयों में मिश्रित कार्बन-डाइआक्साइड गैस पेट में पहुंचते ही डकारें आना शुरू हो जाती है और यदि इन्हें रोकने की कोशिश की जाए, तो ये गैस नाक से निकल कर जलन पैदा करती है। डकारें आने से लोगबाग यह सोचते है कि पाचन संस्थान को राहत मिल रहीं है, जो एक गलत धारणा है।

स्टैंडर्ड मेंटेनेंस का चक्कर – swasth rahne ke upay and tips

अपना स्तर प्रदर्शित करने के चक्कर में लोगबाग अब नाश्ते के बाद चाय, दूध या काफी के बजाय शीतल पेय का सेवन करना जरूरी समझने लगे हैं। इससे कुछ करोड़ का व्यवसाय करने वाले शीतल पेयों का व्यवसाय बढ़कर अब हजारों करोडों से उपर पहुंच गया है।

यह कम आश्चर्य की बात नहीं कि जो बोतल सब खर्चे मिलाकर एक से दो रुपये में पड़ती है, वह धड़ल्ले से 7 से 10 रुपये तक बिकती है। दुनिया भर में लोकप्रिय अमेरिका का कोका कोला पेय हमारे देश मेँ भी प्रसिद्ध है। परंतु राष्ट्रीय पोषण प्रयोगशाला, हैदराबाद के निष्कर्ष का आधार बनाकर जनता सरकार के समय तत्कालीन उद्योग मंत्री जार्ज फर्नान्डीस ने कोका कोला को हानिकारक पेय मानकर प्रतिबंधित करा दिया था। अब फिर प्रतिबंध हटने से कोका कोला दोबारा मार्केट में छा गया है।

भारत में कोका कोला की विदाई के तुरंत बाद से ही मॉडर्न फूंड इंडस्ट्रीज ने डबल सेवन, पार्लें ने थम्स अप और प्योर ड्रिंक्स ने कैम्पा बाजार में पहुंचा दिया था। भारत में बनने वाले अन्य शीतल पेयों में लिम्का, गोल्ड स्पॉट, कैम्पा आरेंज, स्प्रिंट, मिरिंडा रश, थ्रिल, टिंक्लर, पेप्सी, 7अप, स्लाइश, ड्यूक आदि ब्रांड नामों से भी कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री की जाती है।

इसके अलावा कुछ वर्षों से रसना, टिंकल, फ्लोरिडा आदि, कोल्ड ड्रिंक कंसंट्रेट’ तथा फ्रूटी, एप्पी, रसिका, जम्पिन, बालफ्रूट आदि तैयार फलों के स्वाद जैसे पेय भी अत्यधिक लोकप्रिय हो गए है।

swasth rahne ke upay – स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय

अकसर लोगों को यह मालूम नहीं होता है कि शीतल पेयों मेँ मुख्य रूप से सैक्रीन, चीनी, साइट्रिक या फास्फोरिक एसिड, कैफ्रीन, कार्बन डाइआक्साइड, रंग-सोडियम ओएंजाइड आदि पदार्थ मिलाए जाते हैं जो swasth rahne ke upay स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। वास्तव में यदि देखा जाए, तो शीतल पेय में पौष्टिक भोजन का, फलों के वास्तविक रसों का नाममात्र अंश भी नहीं होता।

अमेरिका में किए गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि सैक्रीन और कैफीन युक्त पदार्थों के सेवन करने से बच्चे पढ़ाई से जी चुराने लगते है। ऐसे पेयों के सेवन से मनुष्य का व्यवहार बदल सकता है। यहां तक कि अपराध की प्रवृति जन्म ले सकती है। अनुसंधान के अनुसार बच्चों को खाली पेट शीतल पेयों का सेवन नहीं करने देना

चाहिए तथा बारह वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कोका युक्त शीतल पेय सेवन नहीं करना चाहिए। सैक्रीन युक्त पेयों के सेवन से ब्लड शुगर की बीमारी हो सकती है। बच्चे मोटापे के शिकार हो सकते है, मधुमेह से लेकर दिल की बीमारियां तक हो सकती है। शीतल पेयों के आदती बनाने में कैफीन का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है।

ज्यादातर शीतल पेयों मेँ साइट्रिक या फास्फोरिक एसिड मिलाया जाता है , जो पेट में जाकर अम्लीयता बढ़ा देता है। इससे भूख नहीं लगती। एसिड की अधिकता के परिणामस्वरूप पेप्तिक अल्सर भी हो सकता हैं। शरीर में फास्फोरिक अम्ल लौह तत्व सोखने की शक्ति घटा देता है जिससे लौहह तत्व की शरीर में कमी की संभावना बढ़ जाती है।

सामान्यतया शीतल पेयों को रंगीन बनाने के लिए कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। जब शीतल पेय अधिक और नियमित रूप से सेवन किए जाते है, तो इन कृत्रिम रगों से एलर्जी भी हो सकती है।

स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय
स्वस्थ रहने के 25 नियम | स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय

आमतौर से शीतल पेयों में एक और दो श्रेणी के प्रिजरवेटिव रसायन मिलाए जाते है। नमक, सिरका, ग्लूकोज, शहद आदि श्रेणी-एक के अंतर्गत आते हैं, जबकि श्रेणी-दो में आने वाले पदार्थ नशीले होते है, जिन्हें अधिकतम सीमा से ज्यादा मिलाना अवैध माना गया है। जबकि श्रेणी-एक के पदार्थों के कम या ज्यादा मिलाने से दुष्प्रभाव नहीं होते।

भारत में 23 मार्च, 1985 को जारी अधिनियम से शीतल पेयों की बोतलों और विज्ञापनों पर यह लिखना जरूरी को गया है कि इस पेय में फलों का रस या गूदा नहीं है तथा बेवजह किसी रंगीन फल का चित्र बोतल पर छापने पर कड़ी पाबंदी लगा दी। इससे आम उपभोक्ता इस गलतफहमी में नहीं रहेगा कि शीतल पेयों में फलों का रस या गुदा होने के कारण उससे पौष्टिकताभरी शक्ति प्राप्त होती है।

रुचिकर, स्वादिष्ट बनाने के लिए शीतल पेयों में अकसर ज्यादा मात्रा में शकर मिलाई जाती है। एक बोतल पेय में 2 से 3 बड़े चम्मच शकर होने का अनुमान है। भोजन काल के मध्य में ऐसे पेय सोने से दांतों में खोल होने की संभावना बढ़ जाती है। इनमें विद्यमान साइट्रिक या फास्फोरिक एसिड, दांतों की परत को नष्ट करता है।

इसमें कोई दो मत नहीं कि तपती गर्मी में शीतल पेय की ठंडी बोतल का सेवन हमें तुरंत राहत का अहसास कराती है, लेकिन इनका अधिक मात्रा में या लंबी अवधि तक किया गया सेवन सेहत के लिए हानिकारक सिद्ध होता है।

शीतल पेयों के स्थान पर यदि हम उपलब्ध मौसमी फलों का उपयोग करें, तो उससे अधिक पौष्टिक तत्व प्राप्त होंगे। संक्षेप में निम्न फलों का जूस लेना लाभकारी रहेगा:

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | आम का रस (मैंगो जूस): इसे पीने से गुर्दे की दुर्बलता दूर होती है नींद अच्छी आती है त्वचा का सौंदर्य निखरता है दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है, शरीर में खून बनता है स्फूर्ति आती है , पेट साफ करता है ह्रदय यकृत को शक्ति मिलती हैं। यह वीर्य की दुर्बलता दूर कर वीर्य भी बढ़ाता है। इसमें विटामिन ‘ए’ अधिक होने के कारण रतौंधी रोग मेँ लाभदायक है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | अंगूर का रस (ग्रेप जूस): इसका रस पीने से थकावट दूर होती है, शरीर में शक्ति एबं स्फूर्ति का संचार होता है, मन प्रसन्न रहता है। बार-बार जुकाम होना, कैंसर क्षय पायोरिया, बच्चों का सूखा रोग, बार-बार मूत्र त्याग, दुर्बलता, आमाशय के घाव मिरगी, जुकाम के साथ खांसी, ह्रदय का दर्द, मासिक धर्म की अनियमितता, नकसीर, मां का दूध बढ़ाने, नशीले पदार्थों की आदत छोड़ने में भी लाभप्रद है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | संतरे का रस (ऑर्रेज़ जूस): इसका रस पीने से पाचन-शक्ति सुधरती है, इसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में होने से सर्दी-खांसी में लाभ मिलता है, फ्लू में गुणकारी है। यह शरीर का वजन बढ़ाता है। बच्चों को रोज संतरे का रस मिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। पायोरिया, मधुमेह, कब्ज, भूख न लगने, बच्चे के दस्त, गैस की तकलीफ, कमजोरी, पीलिया रोगी में भी इसका रस गुणकारी है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | अनार का रस (पोमेग्रेनेट जूस): इसका रस पीने से पेट मुलायम रहता है, कामेंद्रियों के बल मिलता है, अरुचि नष्ट होती है, मन प्रसन्न होता है, शरीर की गर्मी दूर करता है, कृमि को नष्ट करता है। यकृत रोगों, दस्त, दुबलापन, बवासीर, बुखार पेट के रोगों में भी इसका रस लाभदायक है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | तरबूज का रस (वाटरमेलोन जूस): इसका रस पीने से तरावट बनी रहती है, गर्मी कम महसूस होती है, लू से बचाव होता है, थकावट दूर होती है, प्यास कम लगती है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | नीबू का रस (लेमन जूस): इसका रस पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, प्यास बुझाता है, भूख बढ़ाता है, तरावट आती है, शरीर में जल की कमी नहीं होती, पेट ठीक रहता है, थकावट दूर रहता है, जी मिचलाहट नहीं होती , मोटापा घटता है, सौंदर्य बढ़ता है, खून को साफ करता है, दिल की घबराहट दूर करता है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | दही की लस्सी: इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। इसका 81 प्रतिशत अंश एक घंटे के अंदर शरीर में आत्मसात् हो जाता है, जिससे तुरंत शक्ति मिलती है शरीर पुष्ट होता है कांति, ओज की वृद्धि होती है। शरीर को पालतू चर्बी कम होती है। ह्रदय रोगों में गुणकारी है।

स्वस्थ रहने के घरेलु उपाय | गन्ने का रस: इसका सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है, भोजन पचता एवं कब्ज़ दूर होता है, वीर्य बढ़ता है, तृप्ति प्रदान करता है शीतलता देता है। स्वंय की जलन दूर करता है। शरीर में मोटापा लाता है और खून साफ करता है।

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